तिरंगे के रंग: भगवा, सफेद, हरा..!
प्रधान मंत्री के #स्वतंत्रतादिवस भाषण की पगड़ी मे भगवा-सफेद था। हरा गायब था।
तिरंगे मे भगवा-हरा किसी मज़हब से नही जुड़ा है। भगवा कुर्बानी के जज़्बे और भारत की त्यागी-सन्यासी परंपरा से जुड़ा है। जबकि हरा खेती-किसानी और समृद्धि से जुड़ा है।
क्या प्रधान-मंत्री यह संकेत दे रहे हैं कि अब भारत को हरे रंग यानी किसानो की ज़रूरत नही?
ऐसा इसलिये भी लगता है कयूंकि नयी शिक्षा नीती मे किसानो के लिये सस्ती और अच्छी शिक्षा का कोई प्रावधान नही है।
नोटबंदी और करोना संकट मे किसानो को मरने के लिये छोड़ दिया गया।
ओलावृष्टी बाढ़ मे जो नुकसान हुआ उसकी कोई भरपाई नही।
सबसे बड़ी बात, प्र.म. के आज के भाषण मे आत्म निर्भरता की बात हुई। मेक इन इंडिया की बात हुई। भारत से बाहर माल निर्यात करने की बात हुई। पर इसमे किसानो को क्या फायदा; किसानी की उपज से उद्योग बनाने की बात, किसानो के लिये न्यूनतम आय का प्रावधान करना, डीज़ल का सवाल, किसानो को अपनी उपज का दाम तय करना--ऐसी कोई बात ही नही हुई। ऊपर से यूरीया संकट अलग। भारत मे विदेशी पूंजी लगेगी--तो किसानो की ही जमीन का अधिग्रहण होगा--उसकी क्या नीती है?
ये किसानो के खिलाफ बहुत बड़ी साज़िश है। जिसमे भाजपा-कांग्रेस सब शामिल हैं। भाजपा बस खुल कर कह देती है। कांग्रेस चोरी-छिपे करती है।
मै जब यही सब कड़वी सच्चाई कहता हूं तो लोगों को अच्छा नही लगता!
हिंदू किसान सोचेगा कि मोदी ने हरा रंग इसलिये नही धारण किया, कयूंकि मुसलमान को आंख चिढ़ा रहा है! और बेकार मे खुश होगा।
मोदी बड़े, शहरी पूंजीपतियों का नुमाइंदा है। और किसानो को मूर्ख बनाना खूब जानता है। किसानो के खिलाफ काम करेगा--और दिखायेगा की मुसलमानों के खिलाफ कर रहा है!