ज्ञान दो प्रकार के होते हैं...

 

Knowledge, ज्ञान, education

ज्ञान दो प्रकार के होते हैं। एक वह ज्ञान, जिससे स्कूल में अच्छे मार्क्स मिलते हैं, वाद-विवाद और शास्त्रार्थ प्रतियोगिताओं में विजय प्राप्त करते हैं, जिससे आपको अच्छी नौकरी मिलती है, जिससे आपको अच्छा दहेज मिलता है, जिससे सुंदर कन्या से विवाह होता है, जिससे आपको समाज में मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा प्राप्त होती है, जिससे आप अच्छे नस्ल के गुलाम बनते हैं और समाज, सरकार व माफिया आपसे प्रसन्न रहते हैं।


दूसरा ज्ञान वह होता है, जो आपको चैतन्य बनाता है, जागृत बनाता है, सरकारों, राजनेताओं, राजनैतिक पार्टियों, फार्मा माफियाओं, गोदी मीडिया द्वारा फैलाये झूठ और षडयंत्रों को समझने और प्रश्न करने की योग्यता प्रदान करता है।


पहले प्रकार का ज्ञान हर कोई प्राप्त करना चाहता है और उसके लिए महंगी से महंगी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहता है। जबकि दूसरे प्रकार के ज्ञान में बहुत ही कम लोगों की रुचि होती है। और ये वे लोग होते है, जिन्हें मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा, बंगला, कार, राष्ट्रिय, अंतर्राष्ट्रीय प्रशंसा, उपाधि, पदक आदि में रत्तीभर भी रुचि नहीं।


दूसरे प्रकार का ज्ञान प्राप्त कर लेने के बाद आप सुखी नहीं रह सकते तब तक, जब तक आपका देश लुट रहा है, जनता भक्ति के नशे में धुत्त नाच रही है और फार्मा माफिया, राजनैतिक पार्टियाँ, धार्मिक/आध्यात्मिक गुरु, जातिवादी संगठन और सरकारें मिलकर देश की जनता को बेमौत मार रही हैं, आर्थिक रूप से निर्बल और असहाय बना रही है।


दूसरे प्रकार का ज्ञान आपको इतना साहसी बना देता है कि राजा भी यदि गलत हो, तो उसे गलत कहने में संकोच नहीं करता। सुप्रीमकोर्ट भी गलत हो, उसे गलत कहने में, उसकी अवमानना करने में संकोच नहीं करता। सरकारें, अस्पताल और डॉक्टर भी गलत कह रहे हों, तो उसका विरोध करने में संकोच नहीं करता।


बहती गंगा में हाथ धोने की मानसिकता को सामान्य मानसिकता मानी जाती है। फिर भले गंगा के पानी में पूरे शहर की गंदगी घोली गयी हो, भले गंगा के पानी में सारे शहर का सीवर लाइन आकर गिरता हो, लेकिन भक्तों की भक्ति में रत्तीभर भी कमी नहीं आएगी। क्योंकि इन्होने पहली प्रकार की शिक्षा प्राप्त की है, इनकी हिम्मत ही नहीं पूछने की सरकारों से कि पावन नदी गंगा में सीवर की गंदगी क्यों फेंकी जा रही है ?


मैं ऐसे ज्ञान को रत्तीभर भी महत्व नहीं देता, जो इंसान को अच्छा नौकर तो बना सकता है, अच्छा राजनेता तो बना सकता है, अच्छा पंडित-पुरोहित, मौलवी, बिशप तो बना सकता है, सम्मानित धर्म गुरु, कथावाचक तो बना सकता है, लेकिन अच्छा नागरिक नहीं बना सकता। चैतन्य व्यक्ति नहीं बना सकता।